एक मंज़र भी न देखा गया मुझ से 'काविश' By Sher << अहबाब भी ग़ैरों की अदा सी... हम कि साहिल के तसव्वुर से... >> एक मंज़र भी न देखा गया मुझ से 'काविश' सारे आलम को कोई देख रहा है मुझ में Share on: