ख़ाक उड़ती है तेरी गलियों में By Sher << मौसम-ए-गुल हमें जब याद आय... मेहनत से है अज़्मत कि ज़म... >> ख़ाक उड़ती है तेरी गलियों में ज़िंदगी का वक़ार देखा है Share on: