ख़ाक-ए-बदन तिरी सब पामाल होगी इक दिन By Sher << तू ने सूरत न दिखाई तो ये ... तिरे जवाहिर-ए-तरफ़-ए-कुलह... >> ख़ाक-ए-बदन तिरी सब पामाल होगी इक दिन रेग-ए-रवाँ बनेगा आख़िर को ये जज़ीरा Share on: