ख़ाक-ए-सहरा तो बहुत दूर है ऐ वहशत-ए-दिल By Sher << मुझ को तलाश करते हो औरों ... कभी उन का नहीं आना ख़बर क... >> ख़ाक-ए-सहरा तो बहुत दूर है ऐ वहशत-ए-दिल क्यूँ न ज़ेहनों पे जमी गर्द उड़ा दी जाए Share on: