ख़िराज माँग रही है वो शाह-बानू-ए-शहर By Sher << दुनिया ये दुखी है फिर भी ... क्या जाने किस अदा से लिया... >> ख़िराज माँग रही है वो शाह-बानू-ए-शहर सो हम भी हदिया-ए-दस्त-ए-तलब गुज़ारते हैं Share on: