बे-कार है बे-म'अनी है अख़बार की सुर्ख़ी By Sher << कश्तियाँ मज़बूत सब बह जाए... आँखों से आँसुओं के मरासिम... >> बे-कार है बे-म'अनी है अख़बार की सुर्ख़ी लिक्खा है जो दीवार पे वो ग़ौर-तलब है Share on: