ख़ल्क़ बे-परवा ख़ुदा बंदों से तंग आया हुआ By Sher << जाँ-ब-लब था तो अयादत को भ... 'रियाज़' तौबा न ट... >> ख़ल्क़ बे-परवा ख़ुदा बंदों से तंग आया हुआ मैं अकेला फिर रहा हूँ हश्र के मैदान में Share on: