ख़मोश जलने का दिल के कोई गवाह नहीं By Sher << बे-हिजाबी जो सही है तिरी ... रंग भरते हैं वफ़ा का जो त... >> ख़मोश जलने का दिल के कोई गवाह नहीं कि शो'ला सुर्ख़ नहीं है धुआँ स्याह नहीं Share on: