ख़ून की चादर मुबारक बा-हया तलवार को By Sher << तशरीफ़ लाओ कूचा-ए-रिंदाँ ... गर ये आँसू हैं तो लाख आवे... >> ख़ून की चादर मुबारक बा-हया तलवार को म्यान से बाहर निकल कर भी न उर्यानी हुई Share on: