ख़राब रहते थे मस्जिद के आगे मय-ख़ाने By Sher << ख़ुदा को काम तो सौंपे हैं... कौन लेता था नाम मजनूँ का >> ख़राब रहते थे मस्जिद के आगे मय-ख़ाने निगाह-ए-मस्त ने साक़ी की इंतिक़ाम लिया Share on: