ख़त देख कर मिरा मिरे क़ासिद से यूँ कहा By Sher << वही क़द्र 'फ़ाएज़'... तेरा ही हो के जो रह जाऊँ ... >> ख़त देख कर मिरा मिरे क़ासिद से यूँ कहा क्या गुल नहीं हुआ वो चराग़-ए-सहर हनूज़ Share on: