ख़ता उस की मुआफ़ी से बड़ी है By Sher << कान पड़ती नहीं आवाज़ कोई ज़िंदगी इक इम्तिहाँ है इम... >> ख़ता उस की मुआफ़ी से बड़ी है मैं क्या करता सज़ा देनी पड़ी है Share on: