ख़त्म करना चाहता हूँ पेच-ओ-ताब-ए-ज़िंदगी By Sher << खो दिया शोहरत ने अपनी शेर... खाइए ये ज़हर कब तक खाए जा... >> ख़त्म करना चाहता हूँ पेच-ओ-ताब-ए-ज़िंदगी याद-ए-गेसू ज़ोर-ए-बाज़ू बन मिरे शाने में आ Share on: