ख़ुद पर हराम समझा समर के हुसूल को By Sher << नज़रों से नापता है समुंदर... दुनिया में हूँ दुनिया का ... >> ख़ुद पर हराम समझा समर के हुसूल को जब तक शजर को छाँव के क़ाबिल नहीं किया Share on: