ख़ुदी की रौशनी में मैं ने देखा है अक़ीदत को By Sher << धूप में कौन किसे याद किया... मैं भी इस सफ़्हा-ए-हस्ती ... >> ख़ुदी की रौशनी में मैं ने देखा है अक़ीदत को ख़ुदाई वर्ना आज़र की मिरी ठोकर पे रक्खी थी Share on: