ख़ुद-कुशी जैसी कोई बात नहीं By Sher << बिखर के फूल फ़ज़ाओं में ब... कभी दर पर कभी है रस्ते मे... >> ख़ुद-कुशी जैसी कोई बात नहीं इक ज़रा मुझ को बद-गुमानी है Share on: