ख़ुशा वो दौर कि जब मरकज़-ए-निगाह थे हम By Sher << ऐ 'मुसहफ़ी' तू इन... हमें इसरार मिलने पर तुम्ह... >> ख़ुशा वो दौर कि जब मरकज़-ए-निगाह थे हम पड़ा जो वक़्त तो अब कोई रू-शनास नहीं Share on: