ख़ुशी ही शर्त नहीं लुत्फ़-ए-ज़िंदगी के लिए By Sher << तुम्हारे होने का शायद सुर... क्या हाथ उठाइए दुआ को >> ख़ुशी ही शर्त नहीं लुत्फ़-ए-ज़िंदगी के लिए मता-ए-ग़म भी ज़रूरी है आदमी के लिए Share on: