ख़ुशी मिली तो ये आलम था बद-हवासी का By Sher << ब-मअ'नी कुफ़्र से इस्... हिन्दू ओ मुस्लिमीन हैं हि... >> ख़ुशी मिली तो ये आलम था बद-हवासी का कि ध्यान ही न रहा ग़म की बे-लिबासी का Share on: