ख़्वाबों की तिजारत में यही एक कमी है By Sher << गुज़रा है कौन फूल खिलाता ... ऐसा किसी से जुनूँ दस्त-ओ-... >> ख़्वाबों की तिजारत में यही एक कमी है चलती है दुकाँ ख़ूब कमाई नहीं देती Share on: