ख़्वाबों पर इख़्तियार न यादों पे ज़ोर है By Sher << तुम समुंदर के सहमे हुए जो... कब आओगे ये घर ने मुझ से च... >> ख़्वाबों पर इख़्तियार न यादों पे ज़ोर है कब ज़िंदगी गुज़ारी है अपने हिसाब में Share on: