ख़्वाहिश सुखाने रक्खी थी कोठे पे दोपहर By Sher << किस तरह जमा कीजिए अब अपने... ख़ुद-ब-ख़ुद शाख़ लचक जाएग... >> ख़्वाहिश सुखाने रक्खी थी कोठे पे दोपहर अब शाम हो चली मियाँ देखो किधर गई Share on: