ख़्वाहिशों की आँच में तपते बदन की लज़्ज़तें हैं By Sher << मिरी नुमूद से पैदा है रंग... 'वली' सानी नहीं द... >> ख़्वाहिशों की आँच में तपते बदन की लज़्ज़तें हैं और वहशी रात है गुमराहियाँ सर पर उठाए Share on: