खिल गई शम्अ तिरी सारी करामात-ए-जमाल By Sher << समझ रहा है ज़माना रिया के... रोक ले ऐ ज़ब्त जो आँसू के... >> खिल गई शम्अ तिरी सारी करामात-ए-जमाल देख परवाने किधर खोल के पर जाते हैं Share on: