खुला था लफ़्ज़ भी जादू-मिसाल होते हैं By Sher << ऐ चर्ख़ बे-कसी पे हमारी न... मेरी अल्लाह से बस इतनी दु... >> खुला था लफ़्ज़ भी जादू-मिसाल होते हैं वो जब गुलाब हुआ था गुलाब कहने से Share on: