खुलेगा उन पे जो बैनस्सुतूर पढ़ते हैं By Sher << कोई ऐसी दवा दे चारा-गर इक दनदनाती रेल सी उम्रें ... >> खुलेगा उन पे जो बैनस्सुतूर पढ़ते हैं वो हर्फ़ हर्फ़ जो अख़बार में नहीं आता Share on: