की ख़िताबत को गर ख़ुदा समझा By Sher << रात कमरे में न था मेरे अल... या ख़ुदा अब के ये किस रंग... >> की ख़िताबत को गर ख़ुदा समझा बंदा भी आख़िर आदमी ही तो है Share on: