किराया-दार बदलना तो उस का शेवा था By Sher << दर्द बढ़ कर दवा न हो जाए बन के ताबीर भी आया होता >> किराया-दार बदलना तो उस का शेवा था निकाल कर वो बहुत ख़ुश हुआ मकाँ से मुझे Share on: