किस क़दर था गर्म नाला बुलबुल-ए-नाशाद का By Sher << तू ने अग़्यार से आईना मँग... घटती है शब-ए-वस्ल तो कहता... >> किस क़दर था गर्म नाला बुलबुल-ए-नाशाद का आग फूलों में लगी घर जल गया सय्याद का Share on: