किस तरह छोड़ूँ यकायक तेरी ज़ुल्फ़ों का ख़याल By Sher << ख़ूब चलती है नाव काग़ज़ क... जो निगाह-ए-नाज़ का बिस्मि... >> किस तरह छोड़ूँ यकायक तेरी ज़ुल्फ़ों का ख़याल एक मुद्दत के ये काले नाग हैं पाले हुए Share on: