न तोड़ो दिल कि है का'बा का ढाना By Sher << शराब ग़ैर को दे कर जला न ... मुख़ातब जो ज़ाहिद से तू ह... >> न तोड़ो दिल कि है का'बा का ढाना ये दो घर हैं मगर बुनियाद है एक Share on: