किसी के कम हैं किसी के बहुत मगर ज़ाहिद By Sher << नासेहा तुझ को ख़बर क्या क... की तर्क-ए-मोहब्बत तो लिया... >> किसी के कम हैं किसी के बहुत मगर ज़ाहिद गुनाह करने को क्या पारसा नहीं करते Share on: