किसी के रस्ते पे कैसे नज़रें जमाए रक्खूँ By Sher << अपनी मस्ती कि तिरे क़ुर्ब... ये सूरज क्यूँ भटकता फिर र... >> किसी के रस्ते पे कैसे नज़रें जमाए रक्खूँ अभी तो करना मुझे है ख़ुद इंतिज़ार मेरा Share on: