किसी के वादा-ए-सब्र-आज़मा की ख़ैर कि हम By Sher << रंग-ओ-बू के पर्दे में कौन... हर इक शिकस्त-ए-तमन्ना पे ... >> किसी के वादा-ए-सब्र-आज़मा की ख़ैर कि हम अब ए'तिबार की हद से गुज़रते जाते हैं Share on: