किसी मरज़ की दवा चश्म-ए-अश्क-बार नहीं By Sher << उन के आने की ख़बर सुन के ... गो अब हज़ार शक्ल से जल्वा... >> किसी मरज़ की दवा चश्म-ए-अश्क-बार नहीं न इंतिज़ार के क़ाबिल न ख़्वाब के क़ाबिल Share on: