किसी से सरगुज़िश्त-ए-ग़म बयाँ करता हूँ जब अपनी By Sher << तवज्जोह आप फ़रमाएँ अगर तो जो कभी दीवार पे लटकाई थी >> किसी से सरगुज़िश्त-ए-ग़म बयाँ करता हूँ जब अपनी कहानी वो सरासर आप की मालूम होती है Share on: