क़िस्मत में ख़ुशी जितनी थी हुई और ग़म भी है जितना होना है By Sher << गूँजूँगा तेरे ज़ेहन के गु... अभी आते नहीं उस रिंद को आ... >> क़िस्मत में ख़ुशी जितनी थी हुई और ग़म भी है जितना होना है घर फूँक तमाशा देख चुके अब जंगल जंगल रोना है Share on: