कितना पुर-अम्न है माहौल फ़सादात के बा'द By अम्न, Sher << बा-ईं-हमा दरमांदगी इंसाँ ... गुमनाम एक लाश कफ़न को तरस... >> कितना पुर-अम्न है माहौल फ़सादात के बा'द शाम के वक़्त निकलता नहीं बाहर कोई Share on: