कितनी वीरान है गली दिल की By Sher << सुब्ह हैं सज्दे में हम तो... इश्क़ में बू है किबरियाई ... >> कितनी वीरान है गली दिल की दूर तक कोई नक़्श-ए-पा भी नहीं Share on: