कू-ए-क़ातिल में बसेगी नई दुनिया इक और By Sher << क्या बुतों में है ख़ुदा ज... कूचे में जो उस शोख़-हसीं ... >> कू-ए-क़ातिल में बसेगी नई दुनिया इक और रोज़ होता है नया शहर-ए-ख़मोशाँ आबाद Share on: