कोह-ए-ग़म और गिराँ और गिराँ और गिराँ By Sher << नहीं ऐसा भी कि यकसर नहीं ... मारा किसी ने संग तो ठोकर ... >> कोह-ए-ग़म और गिराँ और गिराँ और गिराँ ग़म-ज़दो तेशे को चमकाओ कि कुछ रात कटे Share on: