कोई भूका जो फ़र्त-ए-ज़ोफ़ से कुछ लड़खड़ा जाए By Sher << अंदर अंदर खोखले हो जाते ह... इताब-ओ-क़हर का हर इक निशा... >> कोई भूका जो फ़र्त-ए-ज़ोफ़ से कुछ लड़खड़ा जाए तो दुनिया तंज़ कसती है उसे मद-मस्त कहती है Share on: