कोई दीवाना चाहे भी तो लग़्ज़िश कर नहीं सकता By Sher << अपने सर इक बला तो लेनी थी अदा-ए-ख़ास से 'ग़ालिब... >> कोई दीवाना चाहे भी तो लग़्ज़िश कर नहीं सकता तिरे कूचे में पाँव लड़खड़ाना भूल जाते हैं Share on: