कोई घर बैठे क्या जाने अज़िय्यत राह चलने की By Sher << वाइज़ो छेड़ो न रिंदों को ... वो आए घर में हमारे ख़ुदा ... >> कोई घर बैठे क्या जाने अज़िय्यत राह चलने की सफ़र करते हैं जब रंज-ए-सफ़र मालूम होता है Share on: