कोई नालाँ कोई गिर्यां कोई बिस्मिल हो गया By महफ़िल, Sher << गुलशन में न हम होंगे तो फ... बे-ख़ुद भी हैं होशियार भी... >> कोई नालाँ कोई गिर्यां कोई बिस्मिल हो गया उस के उठते ही दिगर-गूँ रंग-ए-महफ़िल हो गया Share on: