कोई शिकवा नहीं हम को किसी से By Sher << कश्तियाँ टूट गई हैं सारी हम क़रीब आ कर और दूर हुए >> कोई शिकवा नहीं हम को किसी से ख़ुद अपनी ज़ात हम को छल रही है Share on: