कुछ बुझी बुझी सी है अंजुमन न जाने क्यूँ By Sher << कैसा लम्हा आन पड़ा है ख़ुदा के वास्ते इस को न ट... >> कुछ बुझी बुझी सी है अंजुमन न जाने क्यूँ ज़िंदगी में पिन्हाँ है इक चुभन न जाने क्यूँ Share on: