कुछ कड़े टकराओ दे जाती है अक्सर रौशनी By Sher << बे-ख़ुदी में इक ख़लिश सी ... दरवाज़ा कोई घर से निकलने ... >> कुछ कड़े टकराओ दे जाती है अक्सर रौशनी जूँ चमक उठती है कोई बर्क़ तलवारों के बेच Share on: