कुछ खटकता तो है पहलू में मिरे रह रह कर By Sher << शैख़ जी घर से न निकले और ... इस ज़माने में न हो क्यूँक... >> कुछ खटकता तो है पहलू में मिरे रह रह कर अब ख़ुदा जाने तिरी याद है या दिल मेरा Share on: