कुछ तो है वैसे ही रंगीं लब ओ रुख़्सार की बात By Sher << दूर तक एक स्याही का भँवर ... इस दौर-ए-आख़िरी की जहालत ... >> कुछ तो है वैसे ही रंगीं लब ओ रुख़्सार की बात और कुछ ख़ून-ए-जिगर हम भी मिला देते हैं Share on: